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Kavita Kosh से
कि प्रेमपत्र जो मैनें लिखे तुम्हें
वे तुम्हारे घमण्ड को प्रतिबिम्बित करने वाले
आईने से अधिक कुछ नहीं थे ।.**००
फिर भी मैं ढोऊँगा
सामान तुम्हारा