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[[Category:अरबी भाषा]]
<Poem>
मैं कोई शिक्षक नहीं डरता हूँजो तुम्हें सिखा सकूँतुम्हारे सामनेकि कैसे किया जाता है अपने प्रेम !मछलियों को नहीं होती शिक्षक की दरकारजो उन्हें सिखलाता हो तैरने की तरक़ीबऔर पक्षियों को भी नहींजिससे कि वे सीख सकें उड़ान के गुर का इजहार करने से
तैरो-- ख़ुद अपनी तरह सेसुना हैउड़ो-- ख़ुद अपनी तरह सेप्रेम की पाठ्य-पुस्तकें नहीं होतींऔर इतिहास जब चषक में दर्ज़सारे महान प्रेमी हुआ करते थे--निरक्षरअनपढ़ढाल दी जाती है शराबअँगूठा-छाप तो उड़ जाती है उसकी सुवास
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह'''
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