भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
[[Category:अरबी भाषा]]
<Poem>
मैं कोई शिक्षक नहीं डरता हूँजो तुम्हें सिखा सकूँतुम्हारे सामनेकि कैसे किया जाता है अपने प्रेम !मछलियों को नहीं होती शिक्षक की दरकारजो उन्हें सिखलाता हो तैरने की तरक़ीबऔर पक्षियों को भी नहींजिससे कि वे सीख सकें उड़ान के गुर का इजहार करने से ।
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह'''
</poem>