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04:29, 11 जून 2014
|रचनाकार=गोपालदास "नीरज"
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आँसू जब सम्मानित होंगे मुझको याद किया जाएगा
जहाँ प्रेम का चर्चा होगा मेरा नाम लिया जाएगा।
आँसू जब सम्मानित होंगे मुझको याद किया जाएगा<br>मान-पत्र मैं नहीं लिख सकाजहाँ प्रेम राजभवन के सम्मानों का चर्चा होगा मेरा नाम लिया मैं तो आशिक रहा जनम सेसुंदरता के दीवानों कालेकिन था मालूम नहीं येकेवल इस गलती के कारणसारी उम्र भटकने वाला, मुझको शाप दिया जाएगा। <br><br>
मान-पत्र मैं खिलने को तैयार नहीं लिख सका<br>थींराजभवन के सम्मानों का<br>तुलसी भी जिनके आँगन मेंमैं तो आशिक रहा जनम से<br>मैंने भर-भर दिए सितारेंसुंदरता उनके मटमैले दामन मेंपीड़ा के दीवानों का<br>संग रास रचायालेकिन था मालूम नहीं ये<br>आँख भरी तो झूमके गायाकेवल जैसे मैं जी लिया किसी से क्या इस गलती के कारण<br>सारी उम्र भटकने वाला, मुझको शाप दिया जाएगा।<br><br>तरह जिया जाएगा
खिलने को तैयार नहीं थीं<br>काजल और कटाक्षों पर तोतुलसी भी जिनके आँगन में<br>रीझ रही थी दुनिया सारीमैंने भर-भर दिए सितारें<br>किंतु बरसने वालीउनके मटमैले दामन में<br>आँखों की आरती उतारीपीड़ा के संग रास रचाया<br>रंग उड़ गए सब सतरंगीआँख भरी तो झूमके गाया<br>तार-तार हर साँस हो गईजैसे मैं जी लिया किसी से क्या इस तरह जिया फटा हुआ यह कुर्ता अब तो ज्यादा नहीं सिया जाएगा<br><br>
काजल और कटाक्षों पर तो<br>रीझ रही थी दुनिया सारी<br>मैंने किंतु बरसने वाली<br>आँखों की आरती उतारी<br>रंग उड़ गए सब सतरंगी<br>तार-तार हर साँस हो गई<br>फटा हुआ यह कुर्ता अब तो ज्यादा नहीं सिया जाएगा<br><br> जब भी कोई सपना टूटा<br>मेरी आँख वहाँ बरसी है<br>तड़पा हूँ मैं जब भी कोई<br>मछली पानी को तरसी है,<br>गीत दर्द का पहला बेटा<br>दुख है उसका खेल खिलौना<br>
कविता तब मीरा होगी जब हँसकर जहर पिया जाएगा।
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