भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>
मिली नौकरी चूहेजी चूहे जी को,
बस के कंडेक्टर की|
लगे समझने बस को जैसे,
पूछा लोगों ने भैयाजी
कैसी बेई मानी|
सरकारी पैसे से क्यों ये ,करते छेड़ाखानी|
बोला...टिकिट बनाता तो हूं,
तुम तक पहुंच न पाते|
कागज़ खाने की आदत से,
टिकिट हमीं खा जाते|
उत्तर सुन ,लोगों ने पूछा,
नोट क्यों नहीं खाये|
लिये टिकिट के रुपये हैं तो,
Delete, Mover, Reupload, Uploader
2,357
edits