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{{KKLokRachna
|भाषा=मैथिली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह= बियाह सँ द्विरागमन धरिक गीत / मैथिली लोकगीत संग्रह
}}
{{KKCatMaithiliRachna}}
<poem>सीता के देखि देखि झखथि जनक ऋषि मोती जकां झहरनि नोर
सीता जुगुत वर कतऽ भेटत, ओतहि सऽ लायब जमाय यो
सीता जुगुत वर अवधपुर भेटत, ओतहि सऽ लाउ जमाय यो
राजा दशरथ् जी के चारि बालक छनि, एक श्यामल तीन गोर यो
गोरहि देखि नहि भूलबै यो बाबा, श्यामल के मुकुट चढ़ायब यो
देशहि देश केर वीरलोक आओल, सभ छूबि चलि गेल यो
वशिष्ठ मुनि संग आए दुइ बालक, धनुष देखि करय उतफाल यो
जखनहि रामचन्द्र धनुष उठाओल, सीया गले डालू जयमाल यो
जखनहि उठाओल मचि गेल जय जयकार यो
</poem>
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|भाषा=मैथिली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह= बियाह सँ द्विरागमन धरिक गीत / मैथिली लोकगीत संग्रह
}}
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<poem>सीता के देखि देखि झखथि जनक ऋषि मोती जकां झहरनि नोर
सीता जुगुत वर कतऽ भेटत, ओतहि सऽ लायब जमाय यो
सीता जुगुत वर अवधपुर भेटत, ओतहि सऽ लाउ जमाय यो
राजा दशरथ् जी के चारि बालक छनि, एक श्यामल तीन गोर यो
गोरहि देखि नहि भूलबै यो बाबा, श्यामल के मुकुट चढ़ायब यो
देशहि देश केर वीरलोक आओल, सभ छूबि चलि गेल यो
वशिष्ठ मुनि संग आए दुइ बालक, धनुष देखि करय उतफाल यो
जखनहि रामचन्द्र धनुष उठाओल, सीया गले डालू जयमाल यो
जखनहि उठाओल मचि गेल जय जयकार यो
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