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|रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार
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|संग्रह=पद-रत्नाकर / भाग- 4 / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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<poem>जय वसुदेव-देवकी-नन्दन, ब्रजपति नन्द-यशोदा-लाल।
जय मुष्टिक-चाणूर-विमर्दक, जय कुवलया-कंसके काल॥
जय नरकासुर-केशि-निषूदन, जरासंध-‌उद्धारक श्याम।
जयति जगद्‌‌गुरु, गीता-गायक, अर्जुन-सारथि-सखा, ललाम॥
जय अनुपम योद्धा, लीलामय, योगेश्वर, ज्ञानी, निष्काम।
जय धर्मज्ञ, धर्म, वरदायक, शुचि सुखदायक शोभाधाम॥
जय सर्वज्ञ, सर्वमय शाश्वत, सर्वातीत, सर्वविश्राम।
जयति परात्पर, लोक-महेश्वर, गुणातीत, चिन्मय गुण-धाम॥
</poem>
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