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{{KKRachna
|रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार
|अनुवादक=
|संग्रह=पद-रत्नाकर / भाग- 4 / हनुमानप्रसाद पोद्दार
}}
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<poem>
सीता-राम, उर्मिला-लक्ष्मण, माण्डवि-भरत मंगलाधार।
शुचि, श्रुतिकीर्ति-शत्रुहन्, गौरी-हर, भुशुण्डि, हनुमान उदार॥
आदि महाकवि बाल्मीकि मुनि, तुलसीदास भक्त सुखधाम।
अष्ट अष्टदल-मध्य सुशोभित, केन्द्र राम-सीता अभिराम॥
मंगलमय इनका जो करता श्रद्धायुत नित पूजन-ध्यान।
पाकर सीताराम-प्रेम वह बनता परम भक्त मतिमान॥
</poem>
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सीता-राम, उर्मिला-लक्ष्मण, माण्डवि-भरत मंगलाधार।
शुचि, श्रुतिकीर्ति-शत्रुहन्, गौरी-हर, भुशुण्डि, हनुमान उदार॥
आदि महाकवि बाल्मीकि मुनि, तुलसीदास भक्त सुखधाम।
अष्ट अष्टदल-मध्य सुशोभित, केन्द्र राम-सीता अभिराम॥
मंगलमय इनका जो करता श्रद्धायुत नित पूजन-ध्यान।
पाकर सीताराम-प्रेम वह बनता परम भक्त मतिमान॥
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