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|संग्रह=पद-रत्नाकर / भाग- 4 / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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<poem>अति प्रसन्न-मन जनकराज ने विधिवत कर सारे आचार।
चारों कन्या‌एँ कीं अर्पण, चारोंको शुचि सालङ्कार॥
रामभद्र को सीता दी, दी लक्ष्मण को उर्मिला अमन्द।
दी माण्डवी भरत को, दी श्रुतिकीर्ति शत्रुहन्‌ को सानन्द॥
ऋषियों ने सविधान कराया चारों का विवाह-संस्कार।
जनकपुरी में सारे जग में ही छाया आनन्द अपार॥
</poem>
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