Changes

सुधियाँ गुमनाम / रमेश रंजक

39 bytes added, 13:29, 20 जुलाई 2014
"[[सुधियाँ गुमनाम / रमेश रंजक]]" सुरक्षित कर दिया (‎[edit=sysop] (बेमियादी) ‎[move=sysop] (बेमियादी))
पर्वत की
ऊँचाई पर पल भर को ठहर गई
शाम
बेच गई बनजारिन धूप
माँझी के गीत क्या रुके
चपुआ ने रोक दिए पाँव
तट पर
ताबीज़-सी बँधी पानी की पालकी
ललाम 
घाटी से घण्टियाँ चलीं
मटमैले गाँवों की ओर
लिपट गई प्राण-गाँसिनी
जल-भीनी बंसी की डोर
मौन हुई
महराबों पर चहक भरी सुधियाँ
गुमनाम 
चरण धरे अँधियारे ने
टूट रही पगडण्डी दूर
नभ दृग में मोती झलका
सिमट गया सन्ध्या सिन्दूर
दिन की
अभिव्यक्ति पर लगा अनबूझी रात का
विराम !
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,410
edits