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यूँ न मुझसे रूठ जाओ / शशि पुरवार
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11:33, 1 अगस्त 2014
मै अधर को बंद कर लूं, कहीं अल निकल न जाए।
ए
ये
तो शेर जिंदगी के, मेरी साँस से जुड़े है
मेरे इश्क की कहानी, ए गजल भी कह न जाए।
ए
ये
सवाल है जहाँ से, तूने कौम क्यूँ बनायीं
ए
ये
तो जग बड़ा है जालिम, कहीं खंग चल न जाए।
</poem>
Sharda suman
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