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पहचान / अमृता प्रीतम

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तो मेरी साँसों ने तुम्हारी साँसों का घूँट पिया
तब मस्तक में कई काल पलट गए--
 
एक गुफा हुआ करती थी
जहाँ मैं थी और एक योगी
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