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वे बत्ती बंद कर देते हैं और उसकी सफेद परछाईंएक पेड़ चहलकदमी करता हुआ बारिश मेंटिमटिमाती धूसर बारिश में भागता है हमारे बगल सेएक पल के लिए विलीन होने के पहलेकाम है उसके पास वह जीवन एकत्र करता हैबारिश में से जैसे अँधेरे के गिलास बाग में कोई टिकिया और फिर समाप्तश्यामा चिड़ियाहोटल की दीवारें उठते हुए जा पहुँची हैं काले आकाश के भीतरस्थिर हो चुकी हैं प्रेम की गतिविधियाँ, और वे सो गए हैंपेड़ भी रुक जाता है बारिश रुकने परमगर उनके सबसे गोपनीय विचार मिलते हैंजैसे मिलते हैं दो रंग बहकर एक-दूसरे शांत खड़ा रहता है बिना बारिश वाली रातों मेंकिसी स्कूली बच्चे की पेंटिंग के गीले कागज परयहाँ अँधेरा है और चुप्पी मगर शहर नजदीक आ गया प्रतीक्षा करता रहता हैआज की रात समीप आ गए जैसे हम करते रहते हैं अँधेरी खिड़कियों वाले मकानवे भीड़ लगाए खड़े हैं प्रतीक्षा करते हुए, उस पल कीएक ऎसी भीड़ जिसके चेहरों पर कोई भाव नहीं जब हिमकण खिलेंगे आकाश में
'''(अनुवाद : मनोज पटेल)'''
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