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पता है, त(लाश)-3 / पीयूष दईया

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<poem>
जग जाने सो
अभंग एक

निरन्तर
सच का शब्द

--पुतलियों में--

सहिदानी सौंप सब
करनी

हर ओर
अनाम

चुप
च(।)ल
</poem>
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