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पीठ कोरे पिता-3 / पीयूष दईया

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पुराण-प्रज्ञा का फल भला कैसे भूल सकता हूं!

दाता का वहां
मेमने पर दिल आ जाता है
.--उसे खाने का

भागते न भागते
शरण लेते
आत्मा

छिपने के लिए है
काया में

ईश्वर से
स्वांग है लाश
</poem>
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