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10:50, 28 अगस्त 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=पीयूष दईया
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
जानता था मैं एक दिन
रोक नहीं सकूंगा और
गूंगी चीख़ से सना रह जाऊंगा
सदा के लिए
.--मर जाओगे
फूल-सा--
मासूम दिल लिये अपना
एक दिन
जानता था मैं
दिल से
मर जाएंगे आप
</poem>
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