437 bytes added,
10:53, 28 अगस्त 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=पीयूष दईया
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
असीम आकाश में सफ़ेद पड़ गये
सारे साल पहले के
जाते ही उनके
तिरोहित
ख़ामोशी
जला आऊंगा
फिर कभी न मिलने के लिए
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader