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17:38, 29 अगस्त 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=यतीन्द्र मिश्र
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
अगर आप इस कविता से
उम्मीद करते हैं यहाँ पानी मिलेगा
तो आप ग़लती पर हैं
तमाम दूसरे कारणों से उभर आयी
प्यास के हिसाब का
लेखा-जोखा भी नहीं मिलेगा यहाँ
मल्हार की कोई श्रुति छूट गयी हो
ऐसा भी सम्भव नहीं लगता
यह कविता का पनघट है
शब्दों की गागर भरी जाती यहाँ
डगर भले ही बहुत कठिन क्यों न हो.
</poem>