Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=यतीन्द्र मिश्र |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=यतीन्द्र मिश्र
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
हम पर इतने दाग़ हैं
जिसका कोई हिसाब ही नहीं हमारे पास
जाने कितने तरीकों से
उतर आए ये हमारे पैरहन पर

रामझरोखे के पास बैठकर
जो अनिमेश ही देख रहा हमारी तरफ
क्या उसे भी ठीक-ठीक पता होगा
कितने दाग़ हैं हम पर?
और कहाँ-कहाँ से लगाकर
लाये हैं हम इन्हें?

क्या कोई यह भी जानता होगा
दाग़ से परे भी जीवन वैसा ही सम्भव है
जैसा उन लोगों के यहाँ सम्भव था
जो अपनी चादर को
बड़े जतन से ओढ़ने का हुनर रखते थे.
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
1,983
edits