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05:51, 31 अगस्त 2014 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=राहुल राजेश
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
एक चुटकी नमक
दो फाँक प्याज
और थरिया भर भात
यही मजूर की औकात
कमल खिले या
लहराए हाथ छाप
या गद्दी पर बैठे
माया मेम साब
साठ बरस में नहीं बदली
तो अब क्या बदलेगी
तकदीर जनाब
झूठी हैं सारी तस्वीरें
जो देखते हैं
टीवी पर आप.
</poem>