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तंत्र / राहुल राजेश

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अभिनव प्रयोगों से गुजरता लोकतंत्र
और संभावनाओं से भरा मंच

कंपनियाँ आश्वस्त

वे कभी घाटे में नहीं रहेंगी
जब तक उनके साथ है तंत्र
और इतना बड़ा गणतंत्र.
</poem>
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