Changes

संगति-3 / नीलोत्पल

1,159 bytes added, 06:07, 1 सितम्बर 2014
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नीलोत्पल |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नीलोत्पल
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
यथासंभव एक ही दिशा है चलने के लिए

मैं उन रास्तों पर भी हूं
जहां आवाज़ें सुनाई नहीं देतीं
अज्ञात चीज़ें ख़ुशबुओं से भरी हैं
तुम कहीं नहीं हो
वायलीन से बह रहे उदास संगीत की तरह
बहता हुआ
मैं सभी जगह

दिशाएं जानती हैं तुम नहीं
तुम अज्ञात चीज़ों की ख़ुशबुओं से भरी हो
मैं पहुंचता हूं, तुम तक नहीं
उन अज्ञात ख़ुशबुओं के करीब

तुम दिशाओं की अनंतता हो
और मेरा चरम भटकाव

आह, हमारे होने की यही संगति है
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
1,983
edits