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14:05, 1 सितम्बर 2014 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=अजेय
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<poem>
+3'c
प्लास्टिक का हेलीकॅाप्टर
रह रह कर मेरे पास तक उड़ा चला आता है
लौट कर लड़खड़ाता लेन्ड करता है
रेलिंग पर बैठा बड़ा सा बन्दर
दो लड़कियों की चुन्नी पकड़ता, मुंह बनाता, डराता है
लड़कियाँ
एक सुन्दर, गोरी, लाल-लाल गालों वाली
दूसरी साधारण, सांवली
प्रतिवाद नहीं करतीं
शर्म से केवल मुह छिपातीं, मुस्करातीं हैं
तापमान बढ़ता ही जा रहा है
</poem>