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{{KKRachna|रचनाकार=काका हाथरसी|अनुवादक=|संग्रह=काका के व्यंग्य बाण / काका हाथरसी}}{{KKCatKavita}}<poem>दस ग्रंथो से टीपकर पुस्तक की तैय्यार । उस पुस्तक पर मिल गया पुरस्कार सरकार ॥ पुरस्कार सरकार लेखनी सरपट रपटे । सूझ-बूझ मौलिकता, भय से पास न फटके ॥ जोड़-तोड़ में कुशल पहुँच है ऊँची जिसकी । धन्य होय साहित्य बोलती तूती उसकी ॥</poem>