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दो घड़ी और ठहर, देख लूँ , चेहरा तेरा
नक्श का अक्शअक्स आँखों से, मेरे दिल में उतर जाने दे
जीते जी मार ही डाला है मुझे यारों ने
रूठे दिलबर को यक़ीनन ही मना लेगा 'रक़ीब'
फूटी तक़दीर तो एक बार संवर जाने दे
 
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