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न मंदिर में सनम होते / नौशाद लखनवी
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17:37, 27 सितम्बर 2014
हमीं खुद उठ गए होते, इशारा कर दिया होता
तेरे अहबाब तुझसे मिल के भी मायूस
लॉट
लौट
गये
तुझे 'नौशाद' कैसी चुप लगी थी, कुछ कहा होता
</poem>
Sharda suman
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