भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
अब भी सुंदर हैं लडकियां यहां
दो लडकियां रिक्शे पर हैं


सिर पर पोनीटेल में

टंके हैं सफेद फूल


हल्का अंधेरा है और उन्हें निहारने में

बल पड रहा आंखों पर

लडकियों के दिखने का लहजा सुंदर है

पर रिबन के सफेद फूल

ज्यादा खि‍ल रहे हैं


जा चुका है रिक्शा

सिर टंके फूलों की गंध याद कर रहा हूं

याद कर रहा हूं उनका चेहरा

कि महुए की तीखी गंध डुबो लेती है अपने में

महानगर में अब भी तीखा है महुआ

अब भी सुंदर हैं लडकियां यहां ।

1995
765
edits