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|रचनाकार=कुमार मुकुल
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|संग्रह=परिदृश्य के भीतर / कुमार मुकुल
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दो लडकियां रिक्शे पर हैं
सिर पर पोनीटेल में
टंके हैं सफेद फूल
हल्का अंधेरा है और उन्हें निहारने में
बल पड रहा आंखों पर लडकियों के दिखने का लहजा सुंदर है पर रिबन के सफेद फूल
ज्यादा खिल रहे हैं
जा चुका है रिक्शा
सिर टंके फूलों की गंध याद कर रहा हूं
याद कर रहा हूं उनका चेहरा
कि महुए की तीखी गंध डुबो लेती है अपने में
महानगर में अब भी तीखा है महुआ
अब भी सुंदर हैं लडकियां यहां ।
1995
</poem>