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{{KKRachna
|रचनाकार=गुलज़ार
|अनुवादक=
|संग्रह=
::मुस्कराहट में कई तरबों की झनकार छुपी थी
::गली क़ासिम से चली एक ग़ज़ल की झनकार था वो
::एक आवाज़ की बौछार था वो !!
</poem>
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