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<poem>
कब तलक ज़ख्म हँस के खायेंगे हम
हग लिक हर इक चोट दिल की छुपायेंगे हम
नातवानी <ref>कमजोरी</ref> को ताकत बनायेंगे हम
मौत से ज़िन्दगी छीन लायेंगे हम
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