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बेटी के जनम बा बवाल भैल भारत में
एही दुखें डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥1॥
 
दिल्ली का गद्‍दी पर बैठल मेहरारुवे बा
ओही के बाटे उहाँ चलत परधनियाँ ।
एहू तिरिया राज में ना सुख भैल बेटिन का
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥2॥
 
एके दू कौर खा के रातो दिन रहे के परी
देहि के जरावे लगी भूखि के अगिनियाँ ।
एही तरे केतने महीना ले रहे के परी
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥3॥
 
जाँचे के हमार मन सासु धरि दीहें कबें
हमरा बिछौना तर लड्‍डू और बुनियाँ ।
उल्टे घुमाई लोग हमरे पर घनियाँ ।
हँसि हँसी के बानी कहीं बिगिहें जेठानी आ
सासु कहि दीहें ई तS तऽ बड़ी बा चटनियाँ ।
हमरा सफाई के रही ना सुनवाई कहीं
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥4॥
 
ओठर सासु दीहें कि एकरा नैहरवा से
आइल कबें ना तनि ढ़ंग से करनियाँ ।
जानि गैनी एकरा से घर ना हमार चली
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥5॥
 
आजु जात बानी बन्द होखे एक जेल बीच
जेलर जहाँ के सासु ननदि आ जेठनियाँ ।
कौनो अदालत सुनी एकर अपील नाहीं
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥6॥
 
चोरी चुँगुलाई हम आजु ले न कैनी कहीं
तुरनी ना कौनो सरकार के कनुनियाँ ।
बेकसूर हम के दियात जेल बाटे आजु
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥7॥
 
काल कोठरी समान होई जेल खाना उहाँ
जहाँ पैसि पाई ना प्रकाश के किरिनियाँ ।
चौकठ का भीतरे रहे के परी आठो घरी
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥8॥
 
लेबे के साँस ना बतास ताजा पाइबि हम
ओढ़े के परिहें कई पर्त के ओढ़नियाँ ।
केकर जबाब कौन कैसे दे पाइबि हम
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥9॥
 
हम के सौंपि देले बा माई बाप जेकरा के
जेकर रहे के बाटे बनि के परनियाँ ।
केहू कही अब्बे से आपन ई चीन्हे लगलि
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥10॥
 
छूटि जात बाटे आजु हमरा से माई बाप
छूटि जात बाटे आजु भाई आ बहिनियाँ ।
माई और बाप के रोवाई बा न बन्द होत
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥11॥
 
बखरा हमार पिता देले जे दहेज मानि
किन्तु बाटे ऐसन समाज के चलनियाँ ।
लूटे आ लूटावे के हमरे धन, बाटे इहे
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥12॥
 
बाप और दादा जौन सम्पति कमाइ गैले
औरी जे छोड़ि गैले उनहूँ के पुरनियाँ ।
सगरी दियाइल हS हऽ तब्बो ना ओराइल ह
तिलक दहेज वाला किश्त सोरहनियाँ ।
बेटहा का घर में ना हाय रहि पावल ऊ
रोके के लूट ई अधिकार ना हमार बाटे
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥13॥
 मुँहमाँगा देत ना दहेज यदि बेटिहा तSतऽ
करे सासु बहुते पतोहु के गँजनियाँ ।
माटी का तेल से पतोह के नहवा के भले
का जाने हमरो गति ऊहे उहाँ सासु करें
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥14॥
 चौदहे बरीस घर राम छोड़ि दिहले तSतऽ
पोथी के पोथी लोग लिखले बा कहनियाँ ।
जन्म भूमि छोड़ि देत बानी आजीवन हम
माथ पै चढ़ा के माई बाप के बचनियाँ ।
हमरी बेर बाकी तS तऽ दुकाहें दों सूखि गैल
बालमीकि व्यास कालिदास के कलमियाँ ।
हमरा ए त्याग पर लिखाइल ना ग्रंथ एको
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥15॥
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