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{{KKGlobal}}
{{KKRachnaKKDharmikRachna}}|<poem> '''रचनाकार=: शिवदीन राम जोशी ''' |अनुवादक=|'''संग्रह=: छन्द प्रवाह से {{KKCatKavita}}{{KKCatDharmik_lok_Rachanayen/Ashtak}} हनुमत अष्टक'''
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सुख सम्पति दायक, राम के पायक, सत्य सहायक संकट हारी।
शिवदीन की आस भरि भरी हैं, कबहूँ नहीं व्याप सकै भव घ्यारी।
मेरी ही बेर क्यूँ देर करो हो, सुनो हनुमान ये अर्ज हमारी।
</poem>