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दुइ टूक बात / पढ़ीस

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|रचनाकार=पढ़ीस
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चहयि होटल मा जलपानु कर‍उ करउ की-:::अचारु विचारु अॅचारू विचारू की पोथी पढ़‍उ।पढ़उव्यभिचारी रह‍उ रहउ सदाचारी बन‍उ बनउ चहयि-:::साँच्यन ग्वाड़न मूड़ धर‍उ।चढ़उ।चहे चाहे राजा भलयि, रय्यति हे चहयि-:::जायि जहाजन म्याड़ चढ़‍उ।चढ़उ।मुल‍उ मुलउ द्यास <ref>द्यास, देश</ref> जवार <ref>आस-पास का क्षेत्र विशेष</ref> की बातन मा-:::घर ते तुम दादा न पाछे कढ़‍उ।कढ़उ।तुम हॉथन ग्वाड़‍न ग्वाड़न ते मजबूत यी-:::चारि पनेथी कि बासी कर‍उ।करउ।को सगा हयि सही स‍उत्यालि सउत्यालि हयि-:::को तो तनि भाई भले पहिचान‍उ त‍उ।पहिंचानउ तउ।कीहि किहि की अमर‍उती अमरउती रही जग मा चहयि-:::आजु जर‍उ जरउ चहयि काल्हि मर‍उ।मरउ।कटि जाउ न द्यास की बातन मा त‍उतउ-:::अकारथ का युहु जामा धर‍उ। '''शब्दार्थ :द्यास = देश।जवार = आस-पास का इलाका।धरउ।</Poempoem>{{KKMeaning}}