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दोनों ओर प्रेम पलता है / मैथिलीशरण गुप्त
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,
12:14, 12 दिसम्बर 2014
::शरण किसे छलता है?’
::दोनों ओर प्रेम पलता है।
दीपक के
जलनें
जलने
में आली,
फिर भी है जीवन की लाली।
किन्तु पतंग-भाग्य-लिपि काली,
Sharda suman
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