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(काछनी = धोती की काँछ, यहि बानिक = इसी तरह)
सतसई का प्रथम दोहा हैः
राधा जी के पीले शरीर की छाया नीले कृष्ण पर पड़ने से वे हरे लगने लगते है। दूसरा अर्थ है कि राधा की छाया पड़ने से कृष्ण हरित (प्रसन्न) हो उठते हैं। श्लेष अलंकार का सुन्दर उदाहरण है।
बिहारी का एक बड़ा प्रसिद्ध दोहा है: