{{KKRachna
|रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल
|संग्रह=फूल नहीं , रंग बोलते हैं-1 / केदारनाथ अग्रवाल
}}
{{KKAnthologyLove}}{{KKCatKavita}} <poem>
हे मेरी तुम !
बिना तुम्हारे--
जलता तो है
दीपक मेरा
लेकिन ऎसेऐसे
जैसे आँसू
की यमुना पर
छोटा-सा
खद्योत
टिमकता,
क्षण में जलता
क्षण में बुझता ।
</poem>