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|रचनाकार=राजू सारसर ‘राज’संजय आचार्य वरुण
|अनुवादक=
|संग्रह=म्हारै पांती रा सुपना मुट्ठी भर उजियाळौ / राजू सारसर ‘राज’संजय आचार्य वरुण
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<poem>
संसद रै बा’र
लाग्योड़ी
गांधी बुद्ध
अर महावीर री
मूरत्यां देवै
अहिंसा रौ संदेष।
सदर रै मांय
जाणै रै बाद
कीं भी करसका आपां
कुण देखै?
</poem>