भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
बीर को बारसा मनाहूँ, बाटहूं मऽ ते घुंगरी
भैय्या घरअ् भयो बारो लाल, बाट्हूँ मऽ ते घुंगरी
भाई का कथन- चल चल बहिना गाय का कोठा
अच्छी-अच्छी गाय निवाड़ ले...बहिना बाई
बहन का कथन- पाँच बरस को बरद मनायो
का करू भैय्या तोरी गाय को
भौजी का कंगना दिला बीरन मखअ्
पाच बरस को बरद मनायो
भाई- भौजी का कंगना ओका, मायका सी आया
कंगना दिया नी जाय ओ बीना बाई
आऊपर कई मांग ले मऽ सीअ्
पाच बरस को बरद मनायो।
</poem>