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<poem>
बहियन मा गनेश जिभियन मां बैठी माई शारदा
घर आये मेहमान नहीं जननी कउन रे कहां के
बेंदी चमकै लिलार कजरा कै बड़ी ......आय
खूब मिला है इनाम जाबइ जहाँ तहाँ कहबै
</poem>