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Kavita Kosh से
आते ही कर स्पर्श गुदगुदाया हमें,
खूली आँख, आनन्द-हृदय दृश्य दिखला दियामनोवेग मधुकर-सा फिर तो गूँजकेगूँज के,
मधुर-मधुर स्वर्गीय गान गाने लगा