भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

विकल्प / प्रवीण काश्‍यप

1,627 bytes added, 11:56, 4 अप्रैल 2015
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रवीण काश्‍यप |संग्रह=विषदंती व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रवीण काश्‍यप
|संग्रह=विषदंती वरमाल कालक रति / प्रवीण काश्‍यप
}}
{{KKCatMaithiliRachna}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
बधिया कयल बरद जकाँ
व्यर्थ भऽ जाइत अछि
लिंगक प्रासंगिकता
मात्र मूत्र विसर्जित करबाक साधन!
वीर्यहीन नपुंसक पुरूष सँ पुछू
केहन होइत अछि नपुंसक होयब!
अपनहि शरीर सँ निकलल अपषिष्ट कें
पीबैत रहबाक विवशता!
फैक्ट्रि सँ निकसैत कारी धुआँ,
रक्तमे मिलल रसाययन सँ, नपुंसक!
पैकेजक तृष्णा मे
अहल भोर सँ काज करऽ बला
आ अधरतिया धरि खटऽ बला सँ
हुनक स्त्री सँ पुछू
केहन होइत अछि बरद होयब,
ओकरा संग, खुट्टा मे बन्हायल गाय होयब?
एकटा गाय,
अपन प्रेमी-पति-संगी कें छोड़ि
विवश अछि कोनो आन सँ गर्भक लेल
किएक तऽ ओ नहि चाहैत अछि
कि ओकर पुरूष कहाबए नपुंसक!
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
2,887
edits