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कर गहेंगी स्मृतियाँ तेरे बालपन की
ओ मेरे मन! राह से ना विलग होना
खींचे खींचें अगर रंगीनियाँ तुझको चमन की
एक मुठ्ठी धरा, एक टुकड़ा गगन का
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