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|रचनाकार=नरेश कुमार विकल
|संग्रह=अरिपन / नरेश कुमार विकल
}}
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<poem>
गन्ध महुआ केर बांटि रहल कोन पिया।
स्वप्नक श्रृंगार संग सुधि आएल अंगना
सत्ते बिन कम्पन कें बाजि उठल कंगना
ललैली लेल पितरक कनैली छै सोन पिया।
गन्ध महुआ केर बांटि रहल कोन पिया।
निशि संग नीन्न नित करय झिकझोरिया
जहिना करय चान संग मे इजोरिया
सिहकि वसात चलल मोने मोन पिया।
गन्ध महुआ केर बांटि रहल कोन पिया।
फूजल चिकुर मोन गेल जल धारा
अंगक विभूषा बनल चान तारा
कोनो ने बाँटै छै पातक कोन पिया।
गन्ध महुआ केर बांटि रहल कोन पिया।
</poem>
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|संग्रह=अरिपन / नरेश कुमार विकल
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गन्ध महुआ केर बांटि रहल कोन पिया।
स्वप्नक श्रृंगार संग सुधि आएल अंगना
सत्ते बिन कम्पन कें बाजि उठल कंगना
ललैली लेल पितरक कनैली छै सोन पिया।
गन्ध महुआ केर बांटि रहल कोन पिया।
निशि संग नीन्न नित करय झिकझोरिया
जहिना करय चान संग मे इजोरिया
सिहकि वसात चलल मोने मोन पिया।
गन्ध महुआ केर बांटि रहल कोन पिया।
फूजल चिकुर मोन गेल जल धारा
अंगक विभूषा बनल चान तारा
कोनो ने बाँटै छै पातक कोन पिया।
गन्ध महुआ केर बांटि रहल कोन पिया।
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