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गोदी सूनी हो जाएगी, कितनी ही माताओं की,
और चूड़ियां भी उतरेंगी, कितनी ही अबलाओं की।
घिर आएंगी शिशुआंे शिशुओं पर भी, घोर घट विपदाओं की,
जबकि चलेगी भारत भू पर, वह आंधी अन्यायों की।
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