Changes

[[Category:संस्कृत]]
प्रिये!आया ग्रीष्म खरतर!
सूर्य भीषण हो गया अब,चन्द्रमा स्पृहणीय सुन्दर
कर दिये हैं रिक्त सारे वारिसंचय स्नान कर-कर
रम्य सुखकर सांध्यवेला शांति देती मनोहर.
शान्त मन्मथ का हुआ वेग अपने आप बुझकर
दीर्घ तप्त निदाघ देखो, छा गया कैसा अवनि पर
प्रिये!आया ग्रीष्म खरतर!
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,142
edits