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सतीश शुक्ला 'रक़ीब' / परिचय

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जन्म तिथि : अप्रैल 04 , 1961
पिता : श्री कृपाशंकर श्यामबिहारी शुक्ला
माता :(स्वर्गीया)श्रीमती लक्ष्मी देवी शुक्ला
भाई - बहन : ऊषा, शोभा, सुनील, सुधीर, आशा, शशि, सुशील एवं मंजू
पत्नी एवं पुत्री : अनुराधा - सागरिका
'होठों पे कभी जिनके दुआ तक नहीं आती' :"ख़याले-शगुफ़्ता": जनवरी-मार्च 2013/26 ग़ाज़ीपुर उ.प्र.
“आप से तुम, तुम से तू कहने लगे' :"संगम":वर्ष-2013:अंक-3 मार्च 2013 : पृष्ठ-42 : पटियाला (पंजाब)
“हर एक लफ़्ज़ पे वो जाँ निसार करता है” : अर्बाबे-क़लम : 15/35 अप्रैल - जून 2013 : देवास, म.प्र.“अश्के ग़म से अपना दामन तर-बतर होने के बाद" : “अदबी दहलीज़" : दूसरी महक / पृष्ठ-27 : पत्र प्रकाशित : पृष्ठ – 2 : जून 2013 : सरायमीर, आज़मगढ़ (उ.प्र.)
'परेशाँ है मेरा दिल मेरी आँखें भी हैं नम कुछ कुछ':पृष्ठ-11:द उर्दू टाइम्स:23 जून 2013:मुंबई (महाराष्ट्र)
"पछताएगा, मज़लूम पे ज़ालिम न जफा कर / क़ुदरत की तो लाठी की सदा तक नहीं आती " : मुख्य पृष्ठ बॉक्स : 26 जून 2013 : डेली उर्दू एक्शन (उर्दू में) : भोपाल (म.प्र.)
"आँखों ने कह दिया जो कभी कह न पाए लब" /"बात हक़ की हो तो क्यों चन्द मकाँ तक पहुँचे" : मुंबई मित्र ( वृत्त मित्र ) : दैनिक पत्र : मुंबई (महाराष्ट्र) शनिवार 05 अप्रैल 2014.
"अंजान हैं इक दूजे से पहचान करेंगे":मुंबई मित्र (वृत्त मित्र):दैनिक पत्र:मुंबई (महाराष्ट्र) शनिवार 07 अप्रैल 2014
“बात हक़ की हो तो क्यों चन्द मकाँ तक पहुँचे” : “अदबी दहलीज़” : 4/58 अप्रैल-जून 2014 : सरायमीर, आज़मगढ़ उ.प्र.
“रख के मेज़ों पे जो भारत का अलम बैठे हैं” : अर्बाबे-क़लम : 19/30 : अप्रैल-जून 2014 : देवास, म.प्र.
“हवा के दोश पे किस गुलबदन की ख़ुशबू है”: रिसाला-ए-इंसानियत : वर्ष – 6 : अंक – 21 : पृष्ठ – 15 : अप्रैल-जून 2014 :भोपाल म.प्र.
“बताऊँ क्यों अजीब हूँ" / "चुप कहाँ रहना, कहाँ पर बोलना है" : मुंबई मित्र ( वृत्त मित्र ) : दैनिक पत्र : मुंबई (महाराष्ट्र) 11 जुलाई 2014
“बात हक़ की हो तो क्यों चन्द मकाँ तक पहुँचे':" : “अभिनव इमरोज़" : वर्ष-3 : अंक-6 : पृष्ठ-77 : जून 2014 :नई दिल्ली
"आप से तुम, तुम से तू , कहने लगे" : "छंद-प्रभा" : ऑनलाइन अंतर्जालीय पत्रिका : संपादक - संजय सरल : पृष्ठ-38 : जून-अगस्त 2014 : देवास, म.प्र."होठों पे कभी जिनके दुआ तक नहीं आती" : प्रेरणा-अंशु : वर्ष - 27 : अंक – 4 : पृष्ठ - 24 : जुलाई 2014 : दिनेशपुर, उत्तराखंड.
"आप से तुम, तुम से तू , कहने लगे" : अभिनव इमरोज़ : वर्ष - 3 :अंक-7 : जुलाई 2014 : पृष्ठ-53 : नई दिल्ली-70
“परेशाँ है मेरा दिल मेरी आँखें भी हैं नम कुछ कुछ” : रिसाला-ए-इंसानियत : वर्ष-6: अंक 32: पृष्ठ-69 : जुलाई-सितम्बर 2014 : भोपाल म.प्र.
“बात हक़ की हो तो क्यों चन्द मकाँ तक पहुँचे" / "लाखों अरमान थे काग़ज़ पे निकाले कितने" : अनुष्का : वर्ष - 4 : अंक 3: पृष्ठ-25 : अक्टूबर 2014 : मुम्बई ( महाराष्ट्र )
"चुप कहाँ रहना कहाँ पर बोलना है" : नई लेखनी : अंक - 7 : पृष्ठ - 31 : जुलाई - दिसम्बर 2014 : बरेली (उ.प्र.)
“बात हक़ की हो तो क्यों चन्द मकाँ तक पहुँचे" : रिसाला-ए-इंसानियत : वर्ष - 6: अंक 23: पृष्ठ - 41 : अक्टूबर-दिसम्बर 2014 : भोपाल म.प्र.
"अंजान हैं इक दूजे से पहचान करेंगे" : अदबी दहलीज़ : 2/2/23 अक्टूबर-दिसम्बर 2014 : सरायमीर, आज़मगढ़ उ.प्र.
“ये हक़ीक़त या ख़्वाब है कोई" / "चुप कहाँ रहना, कहाँ पर बोलना है" : गीत गागर : : अंक ८ : पृष्ठ- 35 : अक्टूबर-दिसम्बर 2014 : पत्र - पृष्ठ - 09 : भोपाल म.प्र.
"आँखों ने कह दिया जो कभी कह न पाए लब":"प्राची प्रतिभा":वर्ष-5:अंक-58:पृष्ठ-24:फरवरी 2015:लखनऊ उ. प्र.
"होटों पे कभी जिनके दुआ तक नहीं आती":"प्राची प्रतिभा":वर्ष-5:अंक-59:पृष्ठ-23:पत्र प्रकाशित:पृष्ठ-37:साहित्यिक समाचार के अन्तर्गत, सरस काव्य समारोह:पृष्ठ-40:में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थिति दर्ज़ : मार्च, 2015 : लखनऊ उ. प्र.
"आप से तुम, तुम से तू , कहने लगे" :"अदबनामा":वर्ष-1:अंक-3:पृष्ठ-59:पत्र प्रकाशित:पृष्ठ-61:जनवरी-मार्च 2015 : नरोभास्कर, जालौन उ.प्र.
“रूह कहते हैं जिसको क्या है वो” : अर्बाबे-क़लम : 22/20 : जनवरी-मार्च 2015 : देवास, म.प्र.
“कुछ को तो शबो-रोज़ कमाने की पड़ी है" : रिसाला-ए-इंसानियत : वर्ष - 7: अंक 24: पृष्ठ - 70 : जनवरी-मार्च 2015 : भोपाल म.प्र.
'क्यों जुबां पर मेरी आ गयी हैं प्रिये' : "प्राची प्रतिभा" : वर्ष - 5 : अंक - 60 : पृष्ठ - 34 : अप्रैल 2015 : लखनऊ उ.प्र.
"है आदिकाल से मानव का आचरण मित्रो" : "प्रेरणा" : अंक - 46 / 2015 : पुवायां, शाहजहाँपुर उ.प्र.
"दो सज़ा शौक़ से सज़ा क्या है" : "अनन्तिम" : वर्ष - 6 : अंक - 24 : पृष्ठ - 19 : कानपुर (उ.प्र.)
"हसरते-बोसा-ए-रुख़सार नहीं थी, कि जो है" / "कुछ को तो शबो-रोज़ कमाने की पड़ी है" : अदबी दहलीज़ : 2/14/62 : अप्रैल-जून 2015 : सरायमीर, आज़मगढ़ उ.प्र.
“वह सताता है दूर जा-जा कर" : रिसाला-ए-इंसानियत : वर्ष - 7: अंक - 25 : पृष्ठ - 37 : पत्र प्रकाशित : पृष्ठ - 76 : अप्रैल-जून 2015 : भोपाल म.प्र."ये हक़ीक़त या ख़्वाब है कोई" : "विधि पताका" : पृष्ठ - 11 : 12 जून 2015 : कानपुर, उ.प्र."जिसको देखो 'रक़ीब' पढ़ता है / जैसे चेहरा किताब है कोई" / शैल-सूत्र / उपशीर्षक / उड़ते परिन्दे - विनय 'सागर' / वर्ष - 8 : अंक - 2 : पृष्ठ - 52 : अप्रैल - जून 2015 : बिन्दुखत्ता, लालकुआँ, नैनीताल (उत्तराखंड).“कुछ को तो शबो-रोज़ कमाने की पड़ी है" / "ये हक़ीक़त या ख़्वाब है कोई" : "सरमाया हिंद" :: वर्ष- 1 : अंक - 6 : पृष्ठ - 19 : जून – 2015 : साहिबाबाद , गाज़ियाबाद, उ.प्र.
आकाशवाणी-प्रसार भारती मुंबई के सम्वाहिका चैनल से रचनाओं/काव्यपाठ का प्रसारण-नवम्बर 2012
मुंबई में सम्पन्न 24 घंटे के अखंड काव्य अनुष्ठान में सहभागिता और सम्मान पत्र अक्टूबर 2012
अंजुमन फ़रोग-ए-उर्दू द्वारा दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय ग़ज़ल गोष्ठी "ग़ज़ल उत्सव" में शिरकत और स्मृति चिन्ह : जनवरी 2013.
ख़्वाहिश फाउंडेशन (रजि.) कानपुर द्वारा आयोजित "महफ़िल-ए-सुख़न" में शाल एवं स्मृति चिन्ह द्वारा विशेष सम्मान, आयोजक - श्री महेश मिश्रा एवं श्रीमती अलका मिश्रा - 24 मई 2015.
निर्माता / निर्देशक म ना नरहरी जी द्वारा निर्मित 40 रचनाकारों के सामूहिक वीडियो एलबम "दस्तावेज़" में सहभागिता : लोकार्पण दिनांक 03.03.2013 - मुंबई (महाराष्ट्र)
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