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[[Category:गज़ल]]
हम परवरिश-ए-लौह-ओ-क़लम करते रहेंगे<br>
जो दिल पे गुज़रती है रक़म करते रहेंगे<br><br>
अस्बाब-ए-ग़म-ए-इश्क़ बहम करते रहेंगेतुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं<br>वीरानी-ए-दौराँ पे करम करते रहेंगेकिसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं<br><br>
हाँ तल्ख़ीहदीस-ए-अय्याम अभी और बड़ेगीयार के उनवाँ निखरने लगते हैं<br>हाँ अहल-ए-सितम मश्क़-ए-सितम करते रहेंगेतो हर हरीम में गेसू सँवरने लगते हैं<br><br>
मंज़ूर ये तल्ख़ी ये सितम हम को गवाराहर अजनबी हमें महरम दिखाई देता है<br>दम है तो मदावा-ए-अलम करते रहेंगेजो अब भी तेरी गली गली से गुज़रने लगते हैं<br><br>
मैख़ाना सलामत है तो हम सुर्ख़ीसबा से करते हैं ग़ुर्बत-नसीब ज़िक्र-ए-मय सेवतन<br>तज़्ज़ीनतो चश्म-ए-दर-ओ-बाम-ए-हरम करते रहेंगेसुबह में आँसू उभरने लगते हैं<br><br>
बाक़ी है लहू दिल में तो हर अश्क से पैदावो जब भी करते हैं इस नुत्क़-ओ-लब की बख़ियागरी<br>रंग-ए-लब-ओ-रुख़सार-ए-सनम करते रहेंगेफ़ज़ा में और भी नग़्में बिखरने लगते हैं<br><br>
एक तर्ज़दर-ए-तग़ाफ़ुल क़फ़स पे अँधेरे की मुहर लगती है सो वो उन को मुबारक<br>एक अर्ज़-ए-तमन्ना है सो हम करते रहेंगेतो "फ़ैज़" दिल में सितारे उतरने लगते हैं