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अंतर / पृथ्वी पाल रैणा

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अंतर क्या है
ग़ैरों में और अपनों में,
खु़दगर्जों की दुनिया में
किससे पूछूँ?
किस से कहूँ,
" आओ मेरी आँखों में देखो
तुमको इनमें अपना ही
प्रतिबिम्ब दिखेगा।"
पर डरे हुए, सहमे लोगों से
क्या कहना-
नजऱ टिका कर देखे
इतना होश किसे है।
</poem>