भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKCatKavita}}
<poem>
पंथ होने दो अपरिचितप्राण रहने दो अकेला
और होंगे चरण हारे, घेर ले छाया अमा बनअन्य हैं जो लौटते दे शूल को संकल्प सारे;दुखव्रती निर्माणआज कंजल-उन्मदअश्रुओं में रिमझिमा ले यह अमरता नापते पद;बाँध देंगे अंक-संसृति से तिमिर में स्वर्ण बेलाघिरा घन
और होंगे नयन सूखेतिल बुझे औ’ पलक रूखेआर्द्र चितवन में यहांशत विद्युतों में दीप खेला अन्य होंगे चरण हारेऔर हैं जो लौटते, दे शूल को संकल्प सारे दुखव्रती निर्माण उन्मदयह अमरता नापते पदबांध देंगे अंक-संसृतिसे तिमिर में स्वर्ण बेला दूसरी होगी कहानी शून्य में जिसके मिटे स्वर, धूलि में खोई निशानी; आज जिसपर प्यार विस्मृत ,जिस पर प्रलय विस्मितमैं लगाती चल रही नित,मोतियों की हाट औ, औ’चिनगारियों का एक मेला हास का मधु-दूत भेजोरोष की भ्रू-भंगिमा पतझार को चाहे सहे जो
हास का मधु-दूत भेजो,
रोष की भ्रूभंगिमा पतझार को चाहे सहेजो;
ले मिलेगा उर अचंचल
वेदना-जल , स्वप्न-शतदल,जान लो, वह मिलन-एकाकी विरह में है दुकेला!
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits