गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
पाँच : पाँचवे पुरखे की कथा / धूमिल
1 byte added
,
19:21, 4 फ़रवरी 2008
::लटुरी पतौह को
xxxxxxxxxxxx
:::xxxxxxxxx
रात भर जूझते हैं देह के अंधेरे में
बदल लेते हैं ।
xxxxxxxxxxxxx
:::xxxxxxxxx
अगर वह अपनी छाती पर एक कील
उस भूखे लड़के की देह पर एक तख़्ती लटका
::
::::::दूँ ।
"यह 'संसद' है--
:::यहाँ शोर करना सख्त मना है ।"
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,118
edits