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|रचनाकार=अमिता प्रजापति
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}}
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<poem>वे लड़कियों को
चिल्लर की तरह
अपनी गुल्लक में
इकट्ठा करना चाहते हैं
बंधे नोट से अटकता है
उनका खर्चा पानी
क्योंकि बंधा नोट वे
बांध कर रखना चाहते हैं
अपनी जेब में
और लड़कियां रेजगारी की ही तरह
गुल्लक फोड़कर
बढ़ जाती हैं आगे
एक बंधा नोट बनने के लिए!
</poem>
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<poem>वे लड़कियों को
चिल्लर की तरह
अपनी गुल्लक में
इकट्ठा करना चाहते हैं
बंधे नोट से अटकता है
उनका खर्चा पानी
क्योंकि बंधा नोट वे
बांध कर रखना चाहते हैं
अपनी जेब में
और लड़कियां रेजगारी की ही तरह
गुल्लक फोड़कर
बढ़ जाती हैं आगे
एक बंधा नोट बनने के लिए!
</poem>